Chapter 7 तोप Class 10 Hindi Sparsh NCERT Summary
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Chapter 7 तोप Class 10 Hindi Sparsh NCERT Notes
‘तोप’ कविता ‘वीरेन डंगवाल’ द्वारा रचित है जिसमे कवि ने ब्रिटिश शासन द्वारा बनाए गए कंपनी बाग के मुहाने पर रखी गई तोप के विषय में बताया है। यह तोप उस समय के वीरों के बलिदान और अंग्रेज़ी शासकों के अत्याचारों की गाथा कहती है। कंपनी बाग और तोप दोनों ही हमें विरासत में मिली निशानियाँ हैं, जिन्हें सैलानियों के लिए सुरक्षित रखा गया है। तोप कंपनी बाग में आनेवाले सैलानियों को बताती है कि कभी मैं बहुत शक्तिशाली थी और मैंने बड़े-बड़े सूरमाओं की धज्जियाँ उड़ा दी थीं। अब समय बदल गया है। तोप पर बच्चे घुड़सवारी करते हैं या चिड़ियाँ गपशप करती हैं।
कवि परिचय
वीरेन डंगवाल का जन्म 5 अगस्त 1947 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के कृतिनगर में हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल में और उच्च शिक्षा इलाहाबाद में हुई। इन्होने ऐसी बहुत सी चीज़ों और जीव-जंतुओं को अपनी कविता को आधार बनाया।
तोप Class 10 Sparsh Hindi Summary
कम्पनी बाग़ के मुहाने पर
धर रखी गई है यह 1857 की तोप
इसकी होती है बड़ी सम्हाल
विरासत में मिले
कम्पनी बाग की तरह
साल में चमकायी जाती है दो बार
शब्दार्थ: कंपनी बाग – गुलाम भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा जगह-जगह पर बनवाए गए बाग-बगीचों में से कानपुर में बनवाया गया एक बाग, मुहाने पर – प्रवेश द्वार पर, धर – रख-रखी गई, सम्हाल – देखभाल, विरासत – पूर्वजों से प्राप्त संपत्ति या वस्तुएँ|
इस काव्यांश में कंपनी बाग में सजाकर रखी गई एक तोप का वर्णन है, जिसने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अनेक भारतीय वीरों को शहीद किया था। यह तोप भी हमें विरासत के रूप में प्राप्त हुई है इसलिए इस तोप को अत्यधिक देखभाल के साथ रखा गया है। जिस प्रकार कंपनी बाग की सफ़ाई का ध्यान रखा जाता है, उसी प्रकार साल में दो बार इस तोप को भी चमकाया जाता है।
सुबह-शाम कम्पनी बाग में आते हैं बहुत से सैलानी
उन्हें बताती है यह तोप
कि मैं बड़ी जबर
उड़ा दिये थे मैंने
अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे
अपने ज़माने में
शब्दार्थ: सैलानी – यात्री, जबर – शक्तिशाली, सूरमाओं – वीरों, ज़माने – समय, युग, धज्जे – नष्ट-भ्रष्ट करना
यह तोप सुबह-शाम कंपनी बाग में घूमने आनेवाले सैलानियों को बताती है कि मैंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में जबरदस्त कार्य किया था। मैंने अच्छे-अच्छे शूरवीरों के चिथड़े उड़ा दिए थे। यह तोप भारतीय क्रांतिकारियों की क्रांति को दबाने के काम आई थी।
अब तो बहरहाल
छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फारिग हो
तो उसके ऊपर बैठकर
चिड़ियाँ ही अकसर करती हैं गपशप
कभी-कभी शैतानी में वे इसके भीतर भी घुस जाती हैं
ख़ासकर गौरैयें
वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप
एक दिन तो होना ही है उनका मुँह बन्द !
शब्दार्थ: फ़ारिग – मुक्त|
अब तो मैं दुखी हालत में खडी हँ। अब मुझ पर छोटे-छोटे बच्चे घुडसवारी का खेल खेलते हैं। जब वे मुझ पर खेलकर उतर जाते हैं, तब चिड़ियाँ मुझ पर आकर बैठ जाती हैं और आपस में गपशप करती हैं। जब कभी उनके मन में शैतानी करने का ख्याल आ जाता है, तब वे तोप के अंदर घुस जाती हैं, खासकर गौरैये। तोप आगे कहती है कि कोई कितना ही बड़ा तथा शक्तिशाली क्यों न हो, परंतु एक दिन तो उसका मुँह अवश्य बंद हो जाता है जैसे आज वह चुपचाप खड़ी है। इसका मतलब है कि अत्याचार की भी एक सीमा होती है। एक न एक दिन तो अत्याचारी को अपना अत्याचार बंद करना ही पड़ता है।
कला पक्ष
- भाषा सहज सरल है और भावाभिव्यक्ति में सक्षम है।
- अच्छे-अच्छे, कभी-कभी में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
- छंद मुक्त कविता है।
- चित्रात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।