Chapter 11 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Class 10 Hindi Sparsh Important Questions and Answers
Chapter 11 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Class 10 Hindi Sparsh Important Questions and Answers play a crucial role in guiding students to improve their performance and excel in examinations. These questions and answers also help students develop critical thinking skills and enhance their ability to provide well-structured and comprehensive answers during exams.
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Chapter 11 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Important Questions and Answers Class 10 Hindi Sparsh
1. क्या बात सुनकर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?
Solution
शैलेन्द्र का चेहरा मुरझा गया जब राजकपूर ने उनसे फ़िल्म में काम करने के लिए अपना पारिश्रमिक देने को कहा। राजकपूर से उन्हें ऐसी उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि राजकपूर उनकी लंबी दोस्ती का ऐसा बदला देंगे।
2. शैलेंद्र का शंकर जयकिशन से किस बात पर मतभेद हुआ?
Solution
शंकर जयकिशन ने शैलेन्द्र के एक प्रसिद्ध गीत पर आपत्ति प्रकट करते हुए कहा कि यहाँ ‘चारों दिशाओं’ का प्रयोग होना चाहिए ‘दसों दिशाओं’ का नहीं। लोग इसे समझ नहीं सकेंगे। शैलेन्द्र ने इस पर कहा कि हमें जनहित की आड़ में उथलेपन को स्वीकार नहीं करना चाहिए।
3. शैलेंद्र लोकप्रियता के बारे में क्या सोचते थे?
Solution
शैलेन्द्र ने लोकप्रियता को महत्वपूर्ण माना, लेकिन लोक संस्कार की कीमत पर नहीं। वे अपनी आदमियत को खोकर लोकप्रियता नहीं चाहते थे। उनका मानना था कि कलाकार का सर्वोच्च दायित्व है कि वह उपभोक्ता की आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास करे। यह सही भी था क्योंकि उन्होंने बेहतरीन गाने लिखे जो बहुत लोकप्रिय हुए।
4. शैलेंद्र के गीत भाव-प्रवण थे, दुरूह नहीं- आशय स्पष्ट कीजिए।
Solution
शैलेन्द्र के गीतों में कोमलता और भावना भरपूर थी। वे गहरे भावों के बावजूद भी कठिन नहीं थे। उनमें भावुकता और सरलता का संगम था। अर्थात् वे बहुत सरल भाषा में लिखे गए थे, जिसे समझना आसान था।
5. हीरामन और हीराबाई में किस प्रकार का संबंध दिखाया गया है?
Solution
हीराबाई की हर अदा पर हीरामन मुग्ध था। वह हीराबाई की मीठी-मीठी बातों और भोली चेहरे पर मुग्ध था। हीराबाई की तनिक सी उपेक्षा पर अपनी जान देने को तैयार हो जाता है। हीराबाई एक नौटंकी में काम करती थी। वह भोली-भाली बातें करने में माहिर थी।
6. शैलेंद्र के जीवन तथा गीतों में कौन-सी विशेषता समान रूप से दिखाई देती है?
Solution
शैलेन्द्र के गीतों में भावुकता, सरलता, प्रवाहशीलता और गहराई जैसे गुण हैं। इनके जीवन तथा गीतों में दो विशेषताएँ समान रूप से मिलती हैं – समुद्र – सी गहराई और शांत नदी की तरह प्रवाहशीलता। इसका सबूत उनका गीत है, ‘मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंगलिस्तानी, सर पे लाल टोपी रूसी फिर भी दिल है हिंदुस्तानी।
7. ‘हीरामन पर राजकपूर हावी न हो सका’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
Solution
हीरामन फ़िल्म तीसरी कसम का नायक है। वह एक भोला-भाला और विनम्र गाड़ीवान था। राजकपूर को हीरामन के रूप में दिखाने पर लगता था कि उनके व्यक्तित्व का इस चरित्र पर प्रभाव पड़ेगा। लेकिन निर्माता ने नायक को पूरी तरह से ग्रामीण वातावरण में पेश किया। कहीं से भी राजकपूर नहीं दिखाई दिया। ऐसा लगता था कि हमारे सामने हीरामन जीवंत है।
8. ‘तीसरी कसम’ में लोक तत्त्व का समावेश कैसे किया गया?
Solution
लोकतत्त्व का अर्थ है आम लोगों के गीत, बातचीत और तरीके। लोक तत्त्व का एक और हिस्सा आम अनपढ़ लोगों की भावनाओं को उनकी भाषा में व्यक्त करना है। “तीसरी कसम” में फिल्मी चकाचौंध की बजाय इसी सहज लोकशैली को अपनाया गया है।
9. शैलेंद्र को लेखक ने गीतकार नहीं कवि कहा है,क्यों?
Solution
गीतों में कविताओं जैसी करुणा से जूझने का संकेत रहता था, इसलिए लेखक ने शैलेंद्र को कवि कहा है। वे सिनेमाई चकाचौंध में रहते हुए भी धन और यश से दूर थे। वह एक कवि की तरह मानवीय भावनाओं को समझते थे और उनके गीतों में यह स्पष्ट दिखाई देता था।
10. शैलेंद्र के बारे में लेखक ने क्या कहा है?
Solution
लेखक ने शैलेन्द्र को गीतकार नहीं बल्कि कवि बताया है। कवि का दिल भावुक होता है। सिनेमा की चकाचौंध में रहते हुए भी शैलेंद्र मोह जाल में नहीं फँसे। वे सफलता और धन की इच्छा से दूर थे। उनके गीतों में इसी तरह की भावना झलकती थी, जैसे उनका जीवन सरल और सहज था। उनके गीतों में करुणा थी, संघर्ष और मंजिल तक पहुँचने का संकेत भी था।
11. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म एक अच्छी फ़िल्म होने के बाद भी बहुत नहीं चली, क्यों?
Solution
तीसरी कसम बहुत अच्छी फिल्म थी, लेकिन हिट नहीं हुई। यह सबसे बड़ा कारण था कि ‘तीसरी कसम’ एक व्यवसायिक फिल्म नहीं थी। इसलिए उसको वितरक नहीं मिले। इसके प्रचार में भी धन नहीं खर्च किया गया। इसलिए फ़िल्म की बहुत चर्चा नहीं हुई और नहीं चली। जब इसे सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार मिला, तब यह चर्चा में आई।
12. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में राजकपूर के अभिनय की तुलना किस फ़िल्म से की गई है? उनका श्रेष्ठ अभिनय किस फ़िल्म में है ?
Solution
राजकपूर की तीसरी कसम में अभिनय की तुलना उनकी एक अन्य फ़िल्म, जागते रहो, से की गई है। ‘जागते रहो’ में उनका अभिनय बहुत सराहा गया था, लेकिन ‘तीसरी कसम’ में उनका अभिनय सर्वश्रेष्ठ था। इस फिल्म में उन्होंने अपने को पात्र के साथ एकजुट कर लिया है। ऐसा लगता है कि उनका व्यक्तित्व पूरी तरह से हीरामन की आत्मा में उतर गया है।
13. ‘तीसरी कसम’ को सफल बनाने के लिए कौन-से सहायक कारण थे?
Solution
फ़िल्म में राजकपूर और वहीदा रहमान ने अच्छा काम किया था। इसके अलावा, उस समय के सबसे सफल संगीतकारों में से एक शंकर जयकिशन की जोड़ी थी। किसी भी फ़िल्म की सफलता में अभिनेता, अभिनेत्री और संगीतकार की सबसे बड़ी भूमिका होती है।
14. लेखक ने शैलेंद्र को फ़िल्म-निर्माता बनने के सर्वथा अयोग्य क्यों कहा है?
Solution
फ़िल्म निर्माता बनने के लिए बहुत साहस और चतुराई चाहिए। शैलेन्द्र, इसके विपरीत, अत्यंत विनम्र थे। फ़िल्म निर्माता निम्न स्तरीय सामग्री भी प्रयोग करते हैं, लेकिन शैलेंद्र एक आदर्शवादी व्यक्ति थे। वे अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करते थे। लेखक ने इसलिए उन्हें फिल्म-निर्माता बनने के लिए पूरी तरह से अयोग्य बताया है।
15. इस फ़िल्म से शैलेंद्र की किन विशेषताओं का पता चलता है?
Solution
इस फ़िल्म में शैलेंद्र ने अपने साहित्यिक लेखन के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है। उन्होंने एक ऐसी फ़िल्म बनाई है जिसे सिर्फ एक सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता है। फ़िल्म की मूलकथा को ज्यों-का-त्यों परदे पर उतारा गया था। इसमें साहित्यकार की भावनाओं सम्मानित की गई हैं। शैलेन्द्र ने फिल्म बनाकर पैसा नहीं कमाना चाहते थे। वे खुद को संतुष्ट करना चाहते थे। वे फ़िल्म-निर्माण सुख को ही अपनी उपलब्धि मानते थे।
16. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन-कौन से सम्मान से सम्मानित किया गया है?
Solution
शैलेन्द्र की पहली और अंतिम फ़िल्म है ‘तीसरी कसम’। यह ‘राष्ट्रपति स्वर्ण पदक’ से सम्मानित हुआ। बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हुआ। यह फिल्म मास्को फ़िल्म फेस्टिवल में भी पुरस्कृत हुई थी।
17. आज भी ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को क्यों याद किया जाता है ?
Solution
शैलेन्द्र की पहली और अंतिम फिल्म थी ‘तीसरी कसम’। इस फिल्म ने कई पुरस्कार जीते हैं। प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यासकार फणीश्वरनाथ रेणु ने इस फिल्म की पटकथा लिखी थी। फ़िल्म में छोटी-छोटी बारीकियां भी स्पष्ट होती हैं। यह फ़िल्म सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं थी बल्कि लोगों को एक संदेश देने में भी सफल रही।
18. राजकपूर ने फ़िल्म की कहानी सुनकर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?
Solution
जब शैलेन्द्र ने राजकपूर को अपनी फिल्म ‘तीसरी कसम’ की कहानी सुनाई, तो राजकपूर बहुत खुश और उत्साहित हुए। उन्हें इस फिल्म में काम करना पसंद आया। दोस्ती निभाना आता था। शैलेंद्र उनके दोस्त थे। राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे दोस्त की तरह शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के जोखिमों से आगाह भी किया।