NCERT Solutions for Class 12 Aroh Hindi Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर
NCERT Solutions for Class 12 Aroh Hindi Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर helps in enhancing precision and accuracy while solving various subjects and topics covered in chapter. By utilizing these solutions, one can analyze the problems thoroughly and ensure that the answers provided are based on the correct concepts.
Chapter 3 Class 12 Aroh Hindi NCERT Solutions can gain a deeper understanding of the subjects and excel in their academic performance.
Chapter 2 पतंग Class 12 Aroh Hindi NCERT Solutions
कविता के साथ
1. इस कविता के बहाने बताएँ कि ‘सब घर एक कर देने के माने’ क्या है?
Solution
“सब घर एक कर देने के माने” का मतलब है कि सभी घरों को एक समान मानना चाहिए और हर किसी को अपना-पराया, छोटा-बड़ा, मेरा-तेरा, जाति-धर्म, संप्रदाय आदि अलग-अलग भावनाओं से मुक्त करना चाहिए। समाज में छोटे बच्चे का मन बहुत नरम होता है। वह किसी से भेदभाव, ईर्ष्या या द्वेष नहीं करता, इसलिए वह हर घर में साथियों के साथ खेलने जाता है। इस प्रकार, कवि भी सामाजिक विभेदों को भूलकर कविता के माध्यम से अपनी बात लिखता है।
2. ‘उड़ने’ और ‘खिलने’ का कविता से क्या संबंध बनता है?
Solution
“उड़ना” और “खिलना” कविता से सीधे जुड़े हैं। चिड़िया एक जगह से दूसरे स्थान पर उड़ती है, परंतु कविता कल्पना के सहारे बहुत दूर तक उड़ती है। यह समय की सीमा पार करता है। कविता फूल की तरह विकसित होती है। जैसे फूल अपनी सुंदरता और गंध से समाज को प्रसन्न करते हैं, उसी तरह कविता भी मानवीय भावों से जन्म लेती है, विभिन्न रंग दिखाती है और निरंतर खुशबू देती है। वह मानव को हर युग में खुशी देती है।
3. कविता और बच्चों को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?
Solution
कवि ने बच्चे और कविता को समानांतर रखा है। कवि कल्पना के संसार की सृष्टि करके आनंद प्राप्त करता है और बच्चे आनंद प्राप्त करने के लिए खेलते हैं। कवि खुशी से कल्पना का संसार बनाता है, और बच्चे आनंद प्राप्त करने के लिए खेलते हैं। खेलते समय सभी बच्चे बड़े-छोटे और अपने पराए के भेद भूल जाते हैं। कवि भी भेदभाव को भुलाकर सबका भला करने के लिए कविता लिखता है। बच्चों का संसार खेल खेलते समय बड़ा होता है और कवि का संसार साहित्य लिखते समय बड़ा होता है।
4. कविता के संदर्भ में ‘बिना मुरझाए महकने के माने’ क्या होते हैं?
Solution
कविता में कवि के मधुर भाव व्यक्त होते हैं, जो उनके समय और समाज को सुगंधित करते हैं। उन भावों का असर क्षणिक नहीं होता, बल्कि स्थायी होता है। वे सदियों तक मानव सभ्यता पर प्रभाव डालते रहेंगे। वास्तव में, शाश्वत मूल्य मानव को हर समय संजीवनी का कार्य करते हैं। कविता में छिपे हुए मूल्य और श्रेष्ठ भाव सदा जीवंत रहते हैं। वे अतीत से वर्तमान को प्राप्त हुए हैं और आने वाली पीढ़ियों को भी प्राप्त होंगे। कविता की महक अनंत काल तक पाठकों को आनंद-विभोर करती रहेगी। उनके द्वारा ही मानव सभ्यता को उच्च जीवन-मूल्य की गति मिलेगी।
5. ‘भाषा को सहूलियत’ से बरतने का क्या अभिप्राय है?
Solution
इस कथन के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि जब भी हम कुछ लिखते हैं तो हमें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए भारी-भरकम, गलत शब्दावली का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कवि को कृत्रिम और चमत्कृत करने वाली भाषा से दूर रहना चाहिए। सरल भाषा में कहीं गई बात अच्छी लगती हैं।
6. बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं, किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में ‘सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है’, कैसे?
Solution
जब हम किसी को कुछ कहना चाहते हैं, तो हमें उचित शब्दों का चयन करना होगा ताकि हमारी बात स्पष्ट रूप से उस व्यक्ति तक पहुँच जाए। कवि अपनी भावना को सही ढंग से व्यक्त नहीं कर पाते। जिससे उनकी कविता में व्यक्त भाव अस्पष्ट रहते हैं।
7. बात (कथ्य) के लिए नीचे दी गई विशेषताओं का उचित बिंबो/मुहावरों से मिलान करें।
बिंब/मुहावरा | विशेषता |
बात की चूड़ी मर जाना | कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना |
बात की पेंच खोलना | बात का पकड़ में न आना |
बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना | बात का प्रभावहीन हो जाना |
पेंच को कील की तरह ठोंक दे | बात में कसावट का न होना |
बात का बन जाना | बात को सहज और स्पष्ट करना |
Solution
बिंब/मुहावरा | विशेषता |
बात की चूड़ी मर जाना | बात का प्रभावहीन हो जाना |
बात की पेंच खोलना | बात को सहज और स्पष्ट करना |
बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना | बात का पकड़ में न आना |
पेंच को कील की तरह ठोंक दे | बात में कसावट का न होना |
बात का बन जाना | कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना |