Class 12 Aroh Hindi Chapter 2 पतंग NCERT Summary

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Class 12 Aroh Hindi Chapter 1 आत्मपरिचय, एक गीत NCERT Summary by आलोक धन्वा provide a comprehensive overview of the chapter making it easier for students to understand and grasp the concepts. Using these notes can help students effectively study and revise the material before their examinations.

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Chapter 2 पतंग Class 12 Aroh NCERT Notes by आलोक धन्वा

आत्मपरिचय पाठ परिचय Class 12 Aroh Hindi

कवि आलोक धन्वा ने पतंग कविता में बच्चों की सुलभ इच्छाओं और उमंगों और प्रकृति के साथ उनके रागात्मक संबंधों का बहुत सुंदर चित्रण किया है। कवि ने प्रकृति में होने वाले बदलाव को चित्रित करने के लिए कई सुंदर बिंबों का संयोजन किया है। पतंग बच्चों की उमंगों का रंग-बिरंगा सपना है, जिसमें वे खो जाना चाहते हैं। बाल-मन उड़ती हुई पतंगों की ऊँचाइयों को छूना चाहता है और उसके पार जाना चाहता है।

कवि परिचय

1948 में बिहार के मुंगेर जिले में आलोक धन्वा का जन्म हुआ था। वे समकालीन हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि हैं। ये सामाजिक चेतना से प्रेरित हैं। इनकी साहित्यिक सेवा के लिए इन्हें राहुल सम्मान से सम्मानित किया गया। इन्हें बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का साहित्य सम्मान और बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान भी मिला है।

पतंग Summary Class 12 Aroh Hindi

सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादो गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए
घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए
पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को
चमकीले इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके-
दुनिया की सबसे हलकी और रंगीन चीज़ उड़ सके
दुनिया का सबसे पतला कागज़ उड़ सके –
बाँस की सबसे पतली कमानी उड़ सके-
कि शुरू हो सके सीटियों, किलकारियों और
तितलियों की इतनी नाज़ुक दुनिया

कवि कहते हैं कि प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य परिवर्तित हो गया है। भादो मास समाप्त हो गया है, साथ ही तन-मन को भिगो देने वाली तेज बारिश भी समाप्त हो गई है। सवेरा, खरगोश की आँखों की तरह चमकदार है। हालाँकि, शरद महीना भी कई झड़ियों और बौछारों से गुजरा है। कवि शरद का मानवीकरण करते हुए कहता है कि वह अपनी नई चमकदार साइकिल को तेजी से चलाते हुए पतंग उड़ाने वाले बच्चों के समूह को सुंदर संकेतों से बुला रहा है। उसने अपने स्पष्ट संकेतों और मधुर ध्वनियों से भी आकाश को इतना नरम बनाया है कि पतंग इस अनंत आकाश में ऊपर उठ सके। इसका अर्थ है कि बच्चे साइकिलों पर सवार होकर पतंगबाज़ी के लिए एक दूसरे को बुला रहे हैं। बच्चों में बहुत उत्साह है। धुप चमक रहा है। पतंग उड़ाने के लिए एक-दूसरे को बुला रहे बच्चे बहुत खुश दिख रहे हैं। पतंग बहुत ही पतले कागज से बना होता है, जो दुनिया में सबसे हल्की और रंगीन वस्तु है। आकाश रूपी बालक चाहता है कि उसके साथ बाँस की पतली कमानी भी उड़ने लगे। जब पतंग आकाश में उड़ने लगेगी तब बच्चे खुशी से सीटियाँ बजाएँगे और किलकारियाँ मारेंगे। पतंगों से आकाश भर जाएगा। ऐसा लगेगा कि रंगीन तितलियों की दुनिया आकाश में उड़ रही है।

जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास.
पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास
जब वे दौड़ते हैं बेसुध
छतों को भी नरम बनाते हुए
दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
जब वे पेंग भरते हुए चले आते हैं
डाल की तरह लचीले वेग से अकसर
छतों के खतरनाक किनारों तक-
उस समय गिरने से बचाता है उन्हें
सिर्फ़ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत
पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ उन्हें थाम लेती हैं महज़ एक धागे के सहारे
पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं
अपने रंध्रों के सहारे

कवि बाल मन की चेष्टाओं का सुंदर चित्रण करते हुए कहता है कि बच्चे जन्म से बहुत नरम और प्यारे होते हैं। वे जब वे पैदा होते हैं कोमल होते हैं। वे संपूर्ण पृथ्वी को नाप लेना चाहते हैं क्योंकि उनके पैरों में एक बेचैनी है। जब बच्चे बेपरवाह होकर दौड़ने लगते हैं, तो वे छतों को भी नरम समझने लगते हैं। कोमल लचीले वेग के साथ, वे अक्सर एक वृक्ष की शाखा की तरह इधर-उधर झूलते हुए अपनी खुशी में डूबकर दौड़ते हैं। जब बच्चे अपनी पतंगों को उड़ाने के लिए घरों की छतों के खतरनाक किनारों पर दौड़ते हैं, उनकी रक्षा उनके उत्तेजित शरीर का संगीत करता है, जो उन्हें गिरने से बचाता है। पतंग, जो सिर्फ एक धागे के सहारे अनंत आकाश में उड़ रही है, अपनी डोलती ऊँचाइयों से कोमल बच्चों को सहारा देती है। ये प्यारे बच्चे अपने रोमछिद्रों के सहारे आकाश में उड़ रहे पतंगों के साथ-साथ स्वयं भी उड़ रहे हैं। बाल-मन भी पतंगों के साथ आकाश में उड़ना चाहता है।

अगर वे कभी गिरते हैं छत के खतरनाक किनारों से
और बच जाते हैं तब तो
और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं
पृथ्वी और भी तेज़ घूमती हुई आती है ।
उनके बेचैन पैरों के पास।

कवि कहता है कि अगर बच्चे अपनी पतंगों को उड़ाते हुए छतों के खतरनाक किनारों से गिर जाते हैं और बच जाते हैं, तो उन्हें अधिक साहस और निडरता मिल जाती है। वे सुनहले सूर्य की तरह उत्साहित हो उठते हैं। वे दुगुने उत्साह से घूमते-फिरते हैं और भाग-भागकर पतंग उड़ाते हैं जैसे कि वे अपने बेचैन पैरों से सारी धरती को नाप लेना चाहते हैं।

काव्य सौंदर्य

  • भाषा सहज, सरल एवं सरस है।
  • तत्सम, तद्भव और विदेशी शब्दावली का प्रयोग है।
  • अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश, स्वभावोक्ति अलंकारों की छटा है।
  • बच्चों की चेष्टाओं का सजीव वर्णन हुआ है।
  • भावपूर्ण शैली का प्रयोग है।
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